बुधवार, 25 दिसंबर 2013

"वास्तु" का प्रभाव और "ईशान कोण" को जानते हैं ?"

  • "वास्तु" का प्रभाव और "ईशान कोण" को जानते हैं ?"
    --वास्तु का अभिप्राय --जन्म कुण्डली की ग्रहदशा ,गोचर एवं निवास ,कार्यालय का वास्तु -साथ ही निवास करने वाले जातक के कर्म व भाग्य को निश्चित रूप से प्रभावित करते हैं 1 जब जन्म कुण्डली की दशा -गोचर बदलते रहते हैं -और उपचार भी समयानुसार अलग -अलग होते हैं,कितु घर /कार्यालय का वास्तु केवल एकबार अनुकूल बनबाकर एवं उस वास्तु का उचित रखरखाव कर समस्त पितृगणों ,देवियों ,देवताओं और ग्रहों की कृपा मिल सकती है -----क्योंकि वास्तुशास्त्र भी ज्योतिष एवं आयुर्वेद की तरह सूक्ष्म विज्ञानं पर आधारित और स्वयं सिद्धि वैदिक विज्ञानं है 1
    ----अस्तु --- "ईशान कोण ----के स्वामी देवता महादेव एवं स्वामी ग्रह -देव गुरु वृहस्पति हैं ,इसी स्थान पर वास्तु देव का झुका हुआ सिर है 1 ईशान कोण - से ही सुसन्मति,वंशवृद्धि ,प्रभुकृपा प्राप्त होती है 1 कर्ण रेखा बचाते हुए यहाँ अंडरग्राउंड जलाशय,पूरे मकान के फर्श लेवल का ढलान होना चाहिए --साथ ही इस स्थान का खुला रहना और साफ -सुथरा होना सुपरिणामदायक है 1
    भाव --किसी भी भवन के ईशान कोण में सही व्यवस्था नहीं होने उत्तम विचार ,देवताओं की कृपा -पूर्वजों - का आशीर्वाद नहीं मिलता है भवन लेते समय इस पर विचार अवश्य करें !
    भवदीय -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }
    {निःशुल्क ज्योतिष सेवा मित्र बनकर एकबार अवश्य प्राप्त करें रात्रि -8 से 9 . 30 में फ़ोन से -किन्तु ऑनलाइन होना अनिवार्य है |,www.facebook.com/astrojhameerut

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