सोमवार, 30 दिसंबर 2013

"मंगल ग्रह से वैधव योग भी बन जाता है ?"{ झा शास्त्री}

  • "मंगल ग्रह से वैधव योग भी बन जाता है ?"{ झा शास्त्री}

    ----अग्निकारक ग्रह मंगल है -जब यह लग्न और सप्तम में बैठता है तो मानव में क्रोध बहुत अधिक होता है 1 पति -पत्नी में इसी के कारण विशेष रूप से लडाइयां होती हैं 1 कारण कि "मंगल" युद्ध का ग्रह है इसको लडाई रोज चाहिए 1 जिनका "मंगल" 8 या 12 भाव में होता है उसका देहबल और मनोबल ठीक नहीं रहता है 1 रोग से पीड़ित रहते हैं ,काम करने की हिम्मत होने के बाद भी काम नहीं कर पाते 1 यदि -शनि के साथ मंगल बैठा हुआ होगा तो जीवन में जातक धन को स्थिर नहीं कर पाएगा 1 यह अकाट्य सिद्धांत है 1 -----1 ,4 ,7 ,8 ,12 भावों में यदि मंगल होता है तो वह जातक मंगली कहलाते हैं 1 इसमें एक और सूक्ष्म विवेचन है -वह लग्न से मंगली हो ,चन्द्र से मंगली हो ,शुक्र से मंगली हो तो वह मंगली माना जाता है 1 यदि विवाह के बाद मंगल महादशाओं में आ जाता है और जातक मंगली नहीं होता है तो वैधव योग उपस्थित हो जाता है 1
      ---प्रेषकः ज्योतिष सेवा सदन [मेरठ -भारत }=www.facebook.com/pamditjha- निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }
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रविवार, 29 दिसंबर 2013

"कुण्डली में "मंगलीयोग"कैसे बनता है?{झा शास्त्री}

"कुण्डली में "मंगलीयोग"कैसे बनता है?{झा शास्त्री}
--"लग्ने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजः ,कन्या भर्तु विनाशाय भर्तु कन्या विनाशकः ||
भाव -यदि जन्मकुण्डली के -1,4 ,7 ,8 ,12 इन स्थानों में से किसी एक स्थान में मंगल हो तो मंगली योग माना जाता है | यदि लड़की की कुंडली में मंगली योग हो तो उसके पति के लिए तथा लड़के की कुंडली में मंगली दोष हो तो पत्नी के लिए कष्टकारी होता है |
   अस्तु --जन्मकुण्डली का सातवाँ भाव अर्थात जामित्र स्थान दाम्पत्य जीवन में मिलने वाले दुःख -सुख से सम्बन्ध रखता है  |दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा यह निर्णय सप्तम भाव से करते हैं साथ ही उक्त भाव स्थित ग्रहों से तथा ग्रहों की दृष्टि से अनुभव किया जाता है | मंगल ग्रह अग्नितत्व कारक स्वभाव से उग्र होता है | अगर कुण्डली के 1 ,4 ,12 वें भावों में बैठा हो तो तब सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है सातवें +आठवें  भाव में होने उन्हें विशेष पीड़ित करता है | मंगल का तीक्ष्ण प्रभाव ही दुःख का कारण बनता है | फलित के प्रणेता कार  आठवें भाव को भी दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित मानते हैं -----
     जैसे----"यत्कुजस्य फलं प्रोक्तं लग्ने तुर्येव्ययेअष्टमे,सप्तमे सैंहिके यार्क सौरिणाम च तथा स्मृतं ||
भाव -1 ,4 ,7 ,8 ,12 वें भावों में मंगल के अतिरिक्त और भी पापक्रूर ग्रह बैठे हों तो भी मंगली दोष  के समान हानि देते हैं जैसे -सूर्य ,शनि ,राहु ,केतु इत्यादि 1
   ध्यान दें --सप्तम भाव का कारक शुक्र है और मन का कारक चंद्रमा है | अतः शुक्र +चंद्रमा से भी योग कारक ग्रहयोगों का विचार अवश्य करना चाहिए 1
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"कुण्डली मिलान" अति कठिन किन्तु सत्य है?"{झा शास्त्री -मेरठ }

"कुण्डली मिलान" अति कठिन किन्तु सत्य है?"{झा शास्त्री -मेरठ }

---जब आप- कुंडली मिलान के लिए -ज्योतिषी ,आचार्य ,विद्वान भूदेव ,गुरुजन या आस्था के प्रतीक व्यक्ति के पास जाते हैं तब आपकी हार्दिक इच्छा यह होती है कि इस पवित्र सम्बन्ध की सही जानकारी मिले -----

    अस्तु --आचार्य -ज्योतिषी आपकी भावना के अनुरूप कार्य भी करते हैं किन्तु यह कार्य अति कठिन होता है हमलोग केवल गुण मिलना ही मिलान समझते हैं जबकि ---जन्म कुण्डलियों में मंगलीयोग ,दीर्घायु -अल्पायु योग ,संतानयोग,पति -पत्नी में परस्पर आसक्ति -अनासक्तियोग ,विषकन्या-विषवधुयोग,कुलता या आचरण हीन योग ----"पंचपाणीग्रहे दोषाः वर्जनीयाः प्रयत्नतः " अर्थात -"दारिद्र्यं मरणं व्याधिः पोन्श्चल्य मन पत्यता "---भाव कुंडली में -दारिद्रय योग,दुर्मरण -अकालमृत्यु योग ,शारीरिक रोग ,नपुंसकता ,रज -वीर्य बलाबल ,मन की निर्बलता -सबलता के योग तो अवश्य ही विचारणीय चाहिए 1

  ----ऊपर बताये गए सभी योग विवाहित जीवन में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं ---साथ ही सुख समृद्धि में सहायक भी होते हैं 1

नोट ----किन्तु इतना सही कार्य केवल केवल मर्मग्य विद्वान -आचार्य ही कर सकते हैं अतः कुंडली मिलान करते +कराते -समय सही निर्णय लें अन्यथा ज्योतिष और ज्योतिषियों की छवि धूमिल होगी 1

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शनिवार, 28 दिसंबर 2013

"वायुकोण और उत्तरदिशा= विचार वास्तु का कैसे करें ?" झा शास्त्री

    • "वायुकोण और उत्तरदिशा= विचार वास्तु का कैसे करें ?" झा शास्त्री
      --यूँ तो वास्तु शास्त्र एक अथाह सागर की तरह है फिर भी कुछ न कुछ तो मनोनुकूल निर्माण के समय कर ही सकते हैं |
      ---वायुकोण ---पश्चिम और उत्तर के मध्य भाग को वायुकोण कहते हैं ---निर्मित भवन की इस दिशा -के देवता "वायुदेव" हैं तथा स्वामी -ग्रह चंद्रमा हैं | यहाँ का तत्व "वायु " है | यह दिशा -मित्र ,राज्य ,रिश्तेदारों के लिए सुख कारक होती है अर्थात भवन में यदि यह दिशा दोष रहित होगी तो ये तमाम सुख मिलेंगें रहने वालों को अन्यथा इन सुखों से रहित हो जाते हैं निवास करने वाले लोग | --इस स्थान का खुला होना उत्तम होता है ,यहाँ के फर्श पर वायु का स्पर्श होना चाहिए | इस दिशा में बगीचा लगाने से लाभ होता है |
       ------उत्तरदिशा ----के देवता -धन के स्वामी श्री कुबेरजी हैं तथा स्वामी ग्रह बुद्धिदाता "बुद्धदेव हैं| यह दिशा भवन में अच्छी होने पर -रहने वालों को धन ,ऐश्वर्य ,संपदा देती है | इस दिशा का फर्श लेवल एवं भवन की ऊँचाई दक्षिण की तुलना में नीची होनी चाहिए | इस दिशा में ढलान होना शुभ रहता है | इस दिशा में दक्षिण के मुकाबले अधिक खाली जगह के साथ -साथ हल्का निर्माण और नदी आदि का जलस्रोत होने से सम्पन्नता बनी रहती है |
      -------भाव ---अगर हम भवन का निर्माण कर रहें हैं या करने वाले हैं तो क्यों न वास्तु शास्त्र के अनुकूल करें जो हमें सुखद एवं शांति जीवन प्रदान करें 1 ज्योतिष अगर भविष्य द्रष्टा है तो वास्तु अलौकिक सुख प्रदाता है |
      --- आपका ज्योतिष सेवा सदन {कन्हैयालाल झा शास्त्री }निःशुल्क ज्योतिष जानकारी एकबार मित्रता से रात्रि-6. 30 से 8 . 30 तक फ़ोन के द्वारा प्राप्त करें । विदेशों में रहते हैं स्काइप पर एकबार फ्री जानकारी प्राप्त करें । https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri
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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

"वास्तु के अनुकूल हैं " अग्नि कोण +दक्षिण दिशा"?"

"वास्तु के अनुकूल हैं " अग्नि कोण +दक्षिण दिशा"?"
--अग्निकोण -के स्वामी "अग्निदेवता " हैं ,और स्वामी ग्रह सौन्दर्य एवं भौतिक सुखों के दाता "शुक्रदेव "हैं | यहाँ अग्नि सम्बंधित कार्य ,रसोई ,जनरेटर ,भट्ठी का होना शुभ रहता है | इस दिशा में अंडरग्राउंड जलाशय ,बोरिंग ,नलकूप होने से रहने वाले लोंगों पर बुरा असर पड़ता है --अतः जब भ भवन का निर्माण करें इसका विचार अवश्य करें |
     -------दक्षिण दिशा ----के स्वामी यम देवता हैं 1 स्वामी ग्रह और सेनापति मंगलदेव हैं | यहाँ का फर्श का लेवल एवं मकान की ऊँचाई उत्तर की अपेक्षा ऊँची ,और उत्तर की अपेक्षा कम खुला स्थान के साथ -साथ भारी निर्माण लाभप्रद होता है |
 ---अस्तु ----किसी भी भवन के निर्माण के समय अग्निकोण में अग्निके के सिवा जल का स्थान नहीं होना चाहिए और साथ ही दक्षिण दिशा खाली नहीं होनी चाहिए क्योंकि दिक्षिण की हवा जब घर में प्रवेश करती है तो रोग उत्पन्न होते हैं इसलिए दक्षिण दिशा में भारी वास्तु रखनी चाहिए |
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"नैऋत्यकोण एवं पश्चिम दिशा" भी वास्तु के योग्य बनायें ?{झा शास्त्री}

  • "नैऋत्यकोण एवं पश्चिम दिशा" भी वास्तु के योग्य बनायें ?{झा शास्त्री}--भवन - निर्माण के समय "नैऋत्यकोण "अर्थात दक्षिण एवं पश्चिम जे बीच का भाग -के देवता नैऋति हैं तथा स्वामी ग्रह राहु एवं केतु हैं |यहाँ का तत्व पृथ्वी है | यह दिशा नेतृत्व ,कंट्रोल ,स्थायित्व प्रदान करती है अर्थात -वास्तु का स्थान यही है | यहाँ सबसे भारी ,सबसे ऊँचा निर्माण ,सबसे ऊँचा फर्श का लेवल होना चाहिए | इस दिशा का पूरी तरह ढका एवं बंद होना स्थिरता के साथ -साथ भाग्य को भी बुलंद करता रहता है |
      नोट -इस दिशा में सही निर्माण नहीं होने से लोग अस्थिर रहते हैं एवं भाग्य भी सही साथ नहीं देता है -अतः निर्माण के समय अवश्य ध्यान दें |
    --------पश्चिम दिशा ---के देवता -वरुण हैं तथा स्वामी ग्रह "शनिदेव "हैं | यह दिशा सामंजस्य ,प्रेमप्रदाता और न्याय बुद्धि के दाता होती है| यहाँ के फर्श का लेवल तथा भवन की ऊँचाई पूर्व दिशा के अनुपात ऊँचा होना सही रहता है | पूर्व दिशा की अपेक्षा भारी निर्माण होना चाहिए | साथ ही साथ पूर्व दिशा की अपेक्षा कम खुली जगह वास्तु सम्मत है |
    ---भाव -जब भी निर्माण भवन का करना हो तो ये शायद काम आये -पश्चिम दिशा में निर्माण करते समय इस बात पर ध्यान देने से मन शांत और सही राह चलने की क्षमता रहने वालों को सदा मिलती रहती है |
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बुधवार, 25 दिसंबर 2013

"ज्योतिष की विशेष जानकारी स्काइप पर भी ?"{झा शास्त्री }

"ज्योतिष की विशेष जानकारी स्काइप पर भी ?"{झा शास्त्री }

----केवल 500 रूपये में स्काइप पर ज्योतिष की समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । 
----स्वास्थ कैसा रहेगा और किस यत्न से स्वस्थ हो सकते हैं । दाम्पत्य जीवन कैसा होगा साथ ही उत्तम कैसे बनें दाम्पत्य जीवन । धन कैसे मिलेगा क्यों नहीं मिलेगा । भाई बंधुओं से प्रेम कैसे हो पराक्रम के लिए क्या करें । माता ,संपत्ति ,वाहन ये सुख कम क्यों हैं । शिक्षा ,संतान उत्तम कैसे हों । शत्रुता क्यों होती है -मित्र कैसे बनें । आयु उत्तम कैसे हों । भाग्य बलवान है फिर मिलता क्यों नहीं है । कर्मक्षेत्र और पिता से लाभ कैसे होगा । आय उत्तम कैसे हो ।व्यय अधिक क्यों होता है । विदेश में स्थिरता क्यों नहीं मिलती है ।
      -------आपकी जन्म कुण्डली क्या कहती है ,क्या करना चाहिए कौन सा यन्त्र रखें ,कौन से मन्त्र पढ़ें साथ कौन से तन्त्र  न करें । छोटे निदान सही ज्ञान से प्राप्त करें ।
भवदीय -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत },www.facebook.com/astrojhameerut
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"वास्तु" का प्रभाव और "ईशान कोण" को जानते हैं ?"

  • "वास्तु" का प्रभाव और "ईशान कोण" को जानते हैं ?"
    --वास्तु का अभिप्राय --जन्म कुण्डली की ग्रहदशा ,गोचर एवं निवास ,कार्यालय का वास्तु -साथ ही निवास करने वाले जातक के कर्म व भाग्य को निश्चित रूप से प्रभावित करते हैं 1 जब जन्म कुण्डली की दशा -गोचर बदलते रहते हैं -और उपचार भी समयानुसार अलग -अलग होते हैं,कितु घर /कार्यालय का वास्तु केवल एकबार अनुकूल बनबाकर एवं उस वास्तु का उचित रखरखाव कर समस्त पितृगणों ,देवियों ,देवताओं और ग्रहों की कृपा मिल सकती है -----क्योंकि वास्तुशास्त्र भी ज्योतिष एवं आयुर्वेद की तरह सूक्ष्म विज्ञानं पर आधारित और स्वयं सिद्धि वैदिक विज्ञानं है 1
    ----अस्तु --- "ईशान कोण ----के स्वामी देवता महादेव एवं स्वामी ग्रह -देव गुरु वृहस्पति हैं ,इसी स्थान पर वास्तु देव का झुका हुआ सिर है 1 ईशान कोण - से ही सुसन्मति,वंशवृद्धि ,प्रभुकृपा प्राप्त होती है 1 कर्ण रेखा बचाते हुए यहाँ अंडरग्राउंड जलाशय,पूरे मकान के फर्श लेवल का ढलान होना चाहिए --साथ ही इस स्थान का खुला रहना और साफ -सुथरा होना सुपरिणामदायक है 1
    भाव --किसी भी भवन के ईशान कोण में सही व्यवस्था नहीं होने उत्तम विचार ,देवताओं की कृपा -पूर्वजों - का आशीर्वाद नहीं मिलता है भवन लेते समय इस पर विचार अवश्य करें !
    भवदीय -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }
    {निःशुल्क ज्योतिष सेवा मित्र बनकर एकबार अवश्य प्राप्त करें रात्रि -8 से 9 . 30 में फ़ोन से -किन्तु ऑनलाइन होना अनिवार्य है |,www.facebook.com/astrojhameerut

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

-ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }

"वास्तु और दिशा-ब्रह्मस्थल {ज्योतिष -विशेष ,झा शास्त्री }?"

  • "वास्तु और दिशा-ब्रह्मस्थल {ज्योतिष -विशेष ,झा शास्त्री }?"
    ----वास्तु अर्थात -निवास स्थान ----दश दिशायें होती हैं उन सभी दिशाओं का अपना -अपना प्रभाव होता है | एक आम व्यक्तियों के लिए वास्तु के अनुकूल भले ही भवन न निर्माण हो सके किन्तु एक कोशिश अवश्य हो सकती है जिस प्रकार से ज्योतिष शास्त्र में भाग्य का परिवर्तन भले ही न हो सके किन्तु कर्मकांड के द्वारा रक्षा अवश्य हो सकती है |
    अस्तु -----ब्रह्मस्थल --अर्थात --भवन का "आंगन "---के देवता स्वयं ब्रह्माजी हैं तथा तत्व आकाश है | इस स्थान पर अर्थात "ब्रह्मस्थल " पर आँगन अवश्य होना चाहिए साथ ही ऊपर से खुला जाल होना भी चाहिए जिससे आँगन में धुप -हवा का आना उत्तम रहता है | भवन का साफ सुथरा निर्माण एवं भार रहित होना निवासियों को विशाल हृदय के साथ -साथ विशाल बुद्धि मिलती है |
        -----निवास और कार्यालय का अकार वर्गाकार एवं -21 %1 अनुपात तक आयताकार शुभ होता है | प्रवेशद्वार शुभ जगह होना चाहिए | निर्माण एवं गृहप्रवेश शुभ मुहूर्त  में होना अति आवश्यकहोता है |भवन की उत्तर दिशा एवं पूर्व दिशा में सड़कऔर खुला होने से शुभ रहता है| छत पर कबाड़ नहीं होना चाहिए | बंद घड़ियाँ ,बेकार मशीन भी घर में नहीं रखने से वास्तु देवता प्रसन्न रहते है ,घर में रहने वाले सभी लोग प्रसन्न रहते हैं|
    भाव ---जीवन में जितनी जरुरत ज्योतिष की होती है शायद अगर माने तो वास्तु भी बहुत ही जरुरत की चीज है -जिसे हम परखकर देख सकते हैं --हम अपने संस्कार और संस्कृति जीवित रखने के लिए सदियों से वास्तु का भी अनुसरण करते आये हैं जभी तो दूर से ही तुलसी ,ॐ ,स्वस्ति की अलौकिक छवि भवन के द्वार पर पहले ही दिखाई देती है यही तो वास्तु शास्त्र की वास्तविकता है |
    प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616ज्योतिष जानकारी मित्रता से ही एकबार प्राप्त कर सकते हैं |-ज्योतिष जानकारी केवल फेसबुक पर मित्रता से ही रात्रि 7 से 9 में फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं |--साथ ही विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषी स्काइप पर एकबार निःशुल्क मित्रता से प्राप्त कर सकते हैं समय -शाम 7 से 9 के बीच किन्तु दोस्ती पहले फेसबुक पर करनी होगी --अधिक जानकारी हेतु इस लिंक पर पढ़ें - || https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri संपर्क सूत्र -09897701636,09358885616www.facebook.com/pamditjha ,www.
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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

"भवन निर्माण में शेषनाग का विचार अवश्य करें ?{"झा शास्त्री"}


--एन्द्रियाम सिरों भाद्रपदः  त्रिमासे। याम्याम शिरो मार्ग शिरस्त्रयम च । फाल्गुनी  मासाद दिशि पश्चिमीयाम।ज्येष्ठात त्रिमासे च तिथोत्तरेशु ।।
-----{१}भाव -भाद्रपद ,आश्विन ,एवं कार्तिक {सितम्बर ,ओक्ट्बर ,नवम्बर }इन तीन महीनों में शेषनाग का सिर पूर्व दिशा में रहता है ।
---{२}-मार्गशीर्ष ,पौष ,एवं माघ {दिसंबर ,जनवरी ,फरवरी }इन तीन मासों में शेषनाग का सिर दक्षिण दिशा में रहता है ।।
---{३}-फाल्गुन ,चैत्र ,वैशाख { मार्च ,अप्रैल ,मई }-इन तीनों मासों में शेषनाग का सर पश्चिम दिशा  में रहता है ।
----{४}-ज्येष्ठ ,आषाढ़ ,एवं श्रावण{जून ,जुलाई ,अगस्त }इन तीनों मासों में शेषनाग का सिर" उत्तर दिशा में रहता है ।।
---   "शिरः खनेत  मात्री पितरोश्चा हन्ता खनेत पृष्ठं भयरोग पीड़ा । तुछ्यम खनेत त्रिशु  गोत्र हानिः स्त्री पुत्र लाभों वाम कुक्षो ।
---अर्थात -जो कोई शेषनाग के सिर [मुख } पर से मकान की नीव रखकर चिनाई शुरू कर दे -तो उस मकान मालिक के माता पिता को हानी पहुँचती है । पीठ पर चिनाई करने से भय एवं रोग से पीड़ित रहते हैं भूमिपत्ति।पूंछ पर चिनाई करने से वंशावली दोष से पीड़ित हो जाते हैं मकान के स्वामी ।और खली जगह पर चिनाई करने से पत्नी को कष्ट होता है ,एवं पुत्र ,धन की भी हानी होती है ।।
अतः ----जब सूर्यदेव-सिंह ,कन्या,तुला राशि में हों तो--अग्नि दिशा में खोदें एवं चिनाई शुरू करें ।
------जब सूर्य देव -वृश्चिक ,धनु ,या  मकर राशि में हों तो -ईशान कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।
-------जब सूर्यदेव -कुम्भ ,मीन या मेष राशि में हों तो वायव्य कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।   
----जब सूर्य देव -वृष  ,मिथुन या कर्क  राशि में हों तो चिनाई  नर्रितय  कोण से शुरू करें ।   ------------ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत ----ज्योतिष जानकारी या परामर्ष के लिए -भवदीय निवेदक "झा शास्त्री" निःशुल्क "ज्योतिष "सेवा रात्रि 7 से 9 मित्रता से प्राप्त करें || https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri संपर्क सूत्र -09897701636,09358885616www.facebook.com/pamditjha ,www.facebook.com/astrojhameerut

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

"तंत्र ,मन्त्रों से स्वास्थ लाभ भी संभव है ? "झा शास्त्री"

"तंत्र ,मन्त्रों से स्वास्थ लाभ भी संभव है ?
------"तंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत कुछ सिद्धि प्राप्त करने के लिए ---जैसे अपने शरीर को स्वस्थ रखने एवं जन्म -मरण से छुटकारा पाने हेतु प्राचीन विद्वानों ,ऋषि -मुनियों द्वारा मन्त्रों की रचना की गयी । हर मन्त्र की रचना इस प्रकार होती है जिससे हर शब्द स्वर -व्यंजनों के जोड़ से सही बैठता है । अतः उन मन्त्रों के शुद्ध उच्चारण से कंठ से निकले हर मन्त्र के शब्दों के स्वर से ऐसा कम्पन पैदा होता है -----जिससे मस्तिष्क को जाती हर नाडी प्रभावित होती है । अतः इन उत्पन्न तरंगों द्वारा अन्तः स्रावी ग्रंथियां जैसे ---पिय्युटरी,पीनियल ,थाइराइड और पेरा थाइराइड तक पहुंच इनको उत्तेजित करती है । इस उत्तेजना से हर ग्रंथि अपना कार्य कुशलता पूर्वक कर शरीर के हर अंग में अपना योगदान देती है । जिससे स्वास्थ बना रहता है तथा शरीर सुचारू रूप से अपनी प्रतिरोध-क्षमता बढ़ता रहता है ।  
   ---इससे न केवल प्रतिरोध क्षमता बढती है ,बल्कि सामान्य बिमारियों से भी बचा जा सकता है । चार -वेद हैं । महामृत्युंजय मन्त्र ऋग्वेद से और गायत्री मन्त्र यजुर्वेद से हैं । 
      आलेख ----"झा शास्त्री"
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बुधवार, 18 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास "दिसंबर " की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री }
लैटिन भाषा के इस शब्द का अर्थ है दसवां । जूलियस ने वर्ष के इस मास का अथान बारहवां रखा है । प्राचीन समय में इस मास का दसवां स्थान था । ईसामसीह का जन्म इसी मास में हुआ था । ---आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत -झा शास्त्री ज्योतिष जानकारी केवल फेसबुक पर मित्रता से ही रात्रि 7 से 9 में एकबार फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं --साथ ही विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषी स्काइप पर एकबार निःशुल्क मित्रता से प्राप्त कर सकते हैं समय -शाम 7 से 9 के बीच किन्तु दोस्ती पहले फेसबुक पर करनी होगी --अधिक जानकारी हेतु इस लिंक पर पढ़ें - --www.facebook.com/pamditjha - {२}- www.facebook.com/astrojhameerut. -सहायता सूत्र -09897701636 +093588885616 

"अंग्रेजी मास "नवंबर "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री }

"अंग्रेजी मास "नवंबर "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री }
अंग्रेजी मास "का नवम्बर अर्थात नोवेम  भी लैटिन शब्द है । इस मास को रक्त मास नाम से पुकारते हैं ,क्योकि इसी मास में मुखयतः पशु संहार किया जाता था । इस कारण इसका नाम नवंबर रखा गया । 
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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास "अक्तूबर "की उत्पत्ति जानते हैं ?"{झा शास्त्री }

"अंग्रेजी मास "अक्तूबर "की उत्पत्ति जानते हैं ?"{झा शास्त्री }
-------अक्तूबर मास की उत्त्पत्ति में अक्तूबर यह शब्द भी लैटिन भाषा का है -जिसका मतलब आठ होता है । किन्तु जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने से यह क्रम बदल गया और अब इसका क्रम दसवां हो गया है । 
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सोमवार, 16 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास "सितम्बर "की रचना कैसे हुई ?"{ झा शास्त्री}

"अंग्रेजी मास "सितम्बर "की रचना कैसे हुई ?"{ झा शास्त्री}

-----सेप्टेम्बर {सेप्टेम }--यह शब्द वास्तविक रूप में लैटिन शब्द है ,जसका अर्थ सातवां है । वर्ष का आरंभ प्राचीन समय में मार्च से हुआ करता था ,तब यह मास सातवां था । किन्तु जूलियस सीजर के जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने से इस सितंबर मास का क्रम नवां हुआ ।
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रविवार, 15 दिसंबर 2013

अंग्रेजी मास "अगस्त " की उत्पत्ति जानते हैं ?"{झा शास्त्री }

अंग्रेजी मास "अगस्त " की उत्पत्ति जानते हैं ?"{झा शास्त्री }
-----आक्टेवियस का ही एक रूप अगस्त है । यह नाम जूलियस के पोते का था । वो साहित्य एवं कला के क्षेत्र में विशेष विख्यात थे । अतः इन्हीं के नाम पर अंग्रेजी मास अगस्त का नाम रखा गया । 
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शनिवार, 14 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास "जुलाई "की रचना कैसे हुई ?" {झा शास्त्री}

"अंग्रेजी मास "जुलाई "की रचना कैसे हुई ?" {झा शास्त्री}

------जुलाई ---मास अर्थात वर्ष के सातवे महीने की रचना रोमन के महान शासक "जूलियस सीजर"के नाम पर हुई । अभिप्राय था जूलियस यशस्वी के साथ -साथ लोकप्रिय शासक भी थे । 
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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

दोस्ती अवश्य करें किन्तु जानकारी भी करें ?

"ज्योतिष सेवा सदन से दोस्ती कोई भी कर सकते हैं ,किन्तु आपका आचरण ,व्यवहार और संस्कार हमारे योग्य भी होने चाहिए साथ -साथ "ज्योतिष सेवा सदन" की समस्त जानकारी प्रोफाइल में उपलब्ध है --पहले ठीक से पढ़ें और समझें -----फिर अपने अनुकूल ज्योतिष सेवा प्राप्त करें !{१}-निःशुल्क ज्योतिष जानकारी केवल मित्र अपनी ही एकबार प्राप्त कर सकते हैं--वो भी केवल फ़ोन के द्वरा ही चाहे देश में रहते हों या विदेशों में -अगर विदेशों में रहते हैं तो आप स्काइप पर भी एकबार प्राप्त कर सकते हैं 1 लेकिन ज्योतिष जानकारी प्राप्त करते समय फेसबुक पर मित्रता है इसे चैट पर केवल राम -राम लिखकर साबित करना होगा 1 निःशुल्क ज्योतिष जानकारी का समय केवल रात्रि -7 से 9 तक है 1 -----{२}-आप दोस्त हैं ज्योतिष सेवा सदन के तो चैट पर राम -राम के सिवा कुछ न लिखें ,अगर कोई बात आपकी समझ में नहीं आई है तो फ़ोन से कभी भी जानकारी प्राप्त करें यह निःशुल्क है ---अगर निःशुल्क सेवा एकबार मिल चुकी है तो 500 देकर फिर प्राप्त कर सकते हैं इसका समय सुवह -8 से रात्रि 9.00 है 1 अगर आप दोस्त नहीं बन सकते हैं ज्योतिष सेवा सदन के तो कोई भी -500 रूपये देकर एकबार जानकारी प्राप्त कर सकते हैं 1-----{३}-अगर आप आजीवन सदस्य हैं ज्योतिष सेवा सदन के तो आप बारबार ज्योतिष की जानकारी स्काइप पर या फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं ----आशा है जुड़े हुए मित्र एवं जुड़ने वाले सभी मित्र इस नियम पर अवश्य ध्यान देंगें 1 -प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री --सचिव -पंडित विस्वनाथ झा शास्त्री ज्योतिष सेवा सदन का संपर्क सूत्र ----09897701636 +09358885616 ---दोस्त हैं -तो प्रोफाइल में अपनी फोटो जरुर लगायें अन्यथा दोस्त न बनें -- फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri ---हमारा पत्ता -ज्योतिष सेवा सदन -प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्रीकिशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ उत्तर प्रदेश पिन -250002 भारत-संपर्क सूत्र कार्यालय -09897701636 +09358885616
 

"ज्योतिष का अभिप्राय क्या है ?"-{झा शास्त्री -मेरठ}

"ज्योतिष का अभिप्राय क्या है ?"-{झा शास्त्री -मेरठ}

----ग्रह नक्षत्र हमारे जीवन को पल -पल प्रभावित करते रहते हैं ,इस बात से तो विज्ञानं भी इनकार नहीं कर सकता । ग्रहों की चाल से ही दिन -रात ,मौसम बदलते हैं । ग्रहों की गति से ही हमारा भाग्य और स्वास्थ बनता सुधरता है । ग्रहों की दशा ही सम्पूर्ण ज्योतिष ज्ञान का मुख्य विषय है । हमारे लेखों के अध्ययन से न सिर्फ आपका ज्योतिष ज्ञान चमत्कारिक रूप से बढ़ेगा बल्कि इन आलेखों को पढ़ने से आप अपना भविष्य ,ग्रह ,ग्रहों का राशि पर प्रभाव ,अपनी जन्म कुण्डली का अध्ययन तथा अनिष्टकारी ग्रहों को शान्त करने के उपाय भी सीख सकते हैं ।
   -----अस्तु  इसलिए निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार सभी ज्योतिष प्रेमी मित्रों को दी जाती है --आपका ---ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक झा शास्त्री मेरठ उत्तर पदेश {भारत }-----निःशुल्क ज्योतिष जानकारी केवल फेसबुक पर मित्रता से ही रात्रि 7 से 9 में एकबार फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं --साथ ही विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषी स्काइप पर एकबार निःशुल्क मित्रता से प्राप्त कर सकते हैं समय -शाम 7 से 9 के बीच किन्तु दोस्ती पहले फेसबुक पर करनी होगी --अधिक जानकारी हेतु इस लिंक पर पढ़ें - --www.facebook.com/pamditjha ----सहायता सूत्र -09897701636 +093588885616
"अंग्रेजी मास "जून "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री }
----जून मास की रचना जूपिटर की पत्नी जनों के नाम पर हुई । मान्यता है कि जुपिटर की पत्नी जूनो अत्यधिक सुन्दर एवं सुकोमल थी । इनके रथ के वाहक घोड़े नहीं बल्कि मयूर थे । इस कारण वर्ष के छठे महीने कि रचना इनके नाम पर हुई ।
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गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास "मई "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री -मेरठ }

"अंग्रेजी मास "मई "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री -मेरठ }
---भारतीय संस्कृति में साल के प्रत्येक मासों की रचना महर्षियो ने योगयतानुसार की है और  प्रयोजन भी बताएं हैं जिसका वर्णन हम क्रम से करेंगें ---किन्तु यह परिपाटी विस्व की सभी भाषाओँ देखने को मिलती है ।
   -------अस्तु ----"मई "अंग्रेजी मास का यह नाम एटलस की कन्या "मइया "से उपलब्ध हुआ है । "मइया "अपनी सातो बहनों से अति सुन्दर थी --इसका अभिप्राय यह था वर्ष के बारहों महीनों में मई का महीना प्रकृत को सर्व सुन्दर रूप प्रदान करता है ।
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बुधवार, 11 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास "मार्च "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री }

"अंग्रेजी मास "मार्च "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री }
-----यूँ तो सबकी संस्कृति और संस्कार अपने -अपने अनुकूल होते हैं --किन्तु किसी भी विशेष कार्य में देवताओं का अनुशरण चाहे रोमन जगत हो या आंग्ल भाषा हो वहाँ भी देखने को ये बात मिलती है ।
  भारतीय संस्कृति में किसी कार्य में मंगलाचरण अवश्य ही होता है परन्तु रोमन जगत में भी यह संस्कृति देखने को मिलती है ।
-------अस्तु ------मार्च ---मास की रचना  रोमन के एक देवता का नाम मार्स था । वो देवता युद्ध का प्रतीक माना जाता था । उसी के गुणों के आधार पर वर्ष के तीसरे मास का नाम "मार्च " रखा गया ।
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"अंग्रेजी मास "अप्रैल "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री -मेरठ }

"अंग्रेजी मास "अप्रैल "की रचना कैसे हुई ?"{झा शास्त्री -मेरठ }
-----रोमन भाषा में दो शब्द हैं ,अमोनिया और एपारि --जिनका अर्थ है ,सब कुछ खोल देना । इसी के आधार वर्ष की चौथे मास "अप्रैल"की रचना हुई -----और साथ ही यह कितना सार्थक नाम है ,क्योंकि "अप्रैल "मास में ही यूरोप की धरती पल्ल्वित होती है । यह अप्रैल मास ही है ,जो धरती पर से बर्फ और कुहासे का आवरण उठा देता  है । साथ ही नई सतरंगी चुनर में निखर उठती है । 
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सोमवार, 9 दिसंबर 2013

"फरवरी "अंग्रेजी में मास का नाम क्यों पड़ा ?"{झा शास्त्री-मेरठ }

"फरवरी "अंग्रेजी में मास का नाम क्यों पड़ा ?"{झा शास्त्री-मेरठ }
----प्राचीन भाषा संस्कृत ही थी  जानते हैं --इसलिए संस्कार की बात संसार में सभी भाषा -भाषियों में देखने को अवश्य मिलती है ।
    ------अस्तु ----फरवरी मास का नामकरण ---प्राचीन रोमन जगत में फेबुआ नामक एक बहुत बड़ा भोज हुआ करता था ,जो अति पवित्र एवं पुण्यतम माना जाता था । इसी के आधार पर वर्ष के दूसरे मास का नाम फेबुरी रखा गया ।
    --ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक झा शास्त्री मेरठ उत्तर पदेश {भारत }-----निःशुल्क ज्योतिष जानकारी केवल फेसबुक पर मित्रता से ही रात्रि 7 से 9 में एकबार फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं --साथ ही विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषी स्काइप पर एकबार निःशुल्क मित्रता से प्राप्त कर सकते हैं समय -शाम 7 से 9 के बीच किन्तु दोस्ती पहले फेसबुक पर करनी होगी --अधिक जानकारी हेतु इस लिंक पर पढ़ें - --www.facebook.com/pamditjha ----सहायता सूत्र -09897701636 +093588885616

रविवार, 8 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास जनवरी का नाम क्यों पड़ा ?"{झा शास्त्री }

"अंग्रेजी मास जनवरी का नाम क्यों पड़ा ?"{झा शास्त्री }
--रोमन एवं अंग्रेजी भाषा साहित्य में ही नहीं ,संप्रदाय में भी उग्र संक्रांतियां हुई हैं । देवताओं को वहां भी महत्त्व और प्रधानता दी गई है । अर्थात वहाँ भी देवताओं के नाम पर प्रत्येक मास की शुरुआत हुई ।
    ------  अस्तु ----- जनवरी ---जेनस नामक एक रोमन देवता के नाम पर वर्ष के प्रथम मास का नाम जनवरी रखा गया । इस देवता के विषय में यह विदित है कि इसके दो मुख थे । एक सामने की ओर तथा दूसरा पीछे की ओर ---इसका मतलब यह है कि जब हम बीते हुए वर्ष की सफलताओं और असफलताओं पर विचार करते हैं ,तो हमें आगे आने वाले नववर्ष की नूतन योजनाओं का विवेचन करना पड़ेगा ---इसका प्रतीक जेनस आदि और अंत के देवता माने गए ।
    अभिप्राय  जेनस देवता के दो मुख से ये दोनों बातें विदित होती हैं  ---ये देवताओं को हम  ही नहीं मानते हैं सभी मानते हैं ।
भवदीय निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन"झा शास्त्री"{मेरठ -उत्तर प्रदेश }
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शनिवार, 7 दिसंबर 2013

"अंग्रेजी मास की उत्त्पत्ति कैसे हुई -झा शास्त्री ?"

"अंग्रेजी मास की उत्त्पत्ति कैसे हुई -झा शास्त्री ?"

      फरवरी -प्राचीन रोमन जगत में फेबुआ नामक एक बहुत बड़ा भोज हुआ करता था ,जो अति पवित्र तथा पुण्यतम माना जाता था , नाम इसी के नाम पर  वर्ष के दूसरे मास को "फेबुरी "कहा गया ||
         भारतीय संस्कृति के  अनुसार निम्न तीन प्रकार का वर्गीकरण है -
                     {१}-नक्षत्रों के आधार पर "चंद्रमास "
                         {२}- संक्रांतियों के आधार पर{सौर्ष मास}
                                 {३}-ऋतुओं  के आधार पर {आर्तव मास}
                नोट -हिन्दू मास-मघा नक्षत्र  से माघ मास की उत्पति हुई है - इस मास को हिन्दू धर्म में सर्वोत्तम मास कहा गया है चारों नवरात्रों में यह सबसे उत्तम नवरात्र होते हैं -सरस्वती देवी की उपासना होती है ,जिनके ऊपर सरस्वती की कृपा हो तो वह जीव अपने  पराक्रम से समस्त संसार में विजय प्राप्त कर सकता है ||
      {आगे कल }
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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

"मास ,महीना या माह किसको कहते हैं ?"-झा शास्त्री {मेरठ }

"मास ,महीना या माह किसको कहते हैं ?"-झा शास्त्री {मेरठ }
मित्र बंधू ,राम राम ,नमस्कार  || 
        ज्योतिषाचार्यों के विचार से -"मास" शब्द फारसी भाषा का "माह" शब्द से बना है | फारसी भाषा में साकार हकार बदल जाता है | जैसे -मास का माह रह गया ,जिसका अर्थ चंद्रमा होता है | हिंदी भाषा का महीना शब्द भी इसी फारसी माह शब्द से माहीना ,तथा महीना बना है | संभव है ,आंग्लभाषा का मूल शब्द जिसका अर्थ चंद्रमा होता है ,वो भी मून शब्द से बिगड़ कर मून्थ अथवा मंथ शब्द बना हो ,जिसका अर्थ भी महीना है ||
             ज्योतिष जानकारी या परामर्ष के लिए -भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri
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गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

"केतुरत्न"लहसुनिया कब ,क्यों और कैसे पहनें ?"

"केतुरत्न"लहसुनिया कब ,क्यों और कैसे पहनें "झा शास्त्री "?"
----केतु ग्रह से पीड़ित व्यक्ति ही लहसुनिया रत्न धारण करते हैं । दिन शनिवार शुभ लग्न एवं शुक्ल पक्ष में कुण्डली का सही आकलन करके पहनना चाहिए ।
  -----लहसुनिया का महत्व -----लहसुनिया रत्न को आंग्ल{अंग्रेजी } भाषा में-कैट्स आई कहते हैं । बिल्ली की आंख -जैसी चमकवाला सफेद ,नारंगी ,हरा रंग का होता है यह रत्न । जब भी कार्यों में बाधा आती है ,चोट लगती है ,साथ ही दुर्घटना का भय सा प्रतीत होने लगता है ,तथा उन्नति में बाधाऐं आने पर लहसुनिया रत्न सही परामर्ष से धारण करना चाहिए यद् रहे अगर परेशानी का कारन केतु हो तभी यह रत्न धारण करना चाहिए ।
----लहसुनिया रत्न की  पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं -----{1 }-यदि लहसुनिया रत्न को अंधेरे में रखा जाये तो वह बिल्ली की आंखों की तरह चमकता हुया दिखाई देगा । ----{2 }-यदि लहसुनिया रत्न को 24 घंटे तक किसी हड्डी पर रखा जाए तो यह हड्डी के आर पार छेद कर देता है ।
   -------नोट --आज के वैज्ञानिक युग में भी हैम आस्थाओं को महत्व देते हैं इसलिए विस्वास रखना बहुत जरुरी है । पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि रत्नों को अपने भाग्यावरोध हटाने का यंत्र समझकर कर्म न करें रत्न अलंकार होते हैं कर्म तो सर्वोपरि हटा है ।
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"गोमेद रत्न क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"

"गोमेद रत्न क्यों ,कब और कैसे पहनें -झा शास्त्री {मेरठ }
---राहु ग्रह को खुश करने के लिए या फिर राहु ग्रह की बुरी दृष्टि से बचने के लिए गोमेद अंग्रेजी में जिरकॉर्न कहते हैं को पहनने ते हैं ।
------गोमेद रत्न ---- लाल धुएं के रंग का होता है । लाल, काला या पीला रंग युक्त गोमेद उत्तम माना जाता है । यह राहु के दोषों को दूर करने के लिए पहनना चाहिए । रोजगार में विशेष व्यवधान होने पर ,धन स्थिर नहीं रहता हो ,मन अशांत रहता हो ,घर में मन नहीं लगता हो तब सही कुण्डली का आकलन करके धारण करना चाहिए -गोमेद रत्न ।
-------गोमेद रत्न को आप खुद परख सकते हैं -------{1 }--असली गोमेद रत्न को गोमूत्र में 24 घंटे रखने पर गोमूत्र का रंग बदल जाता है । ={2 }----दूध में असली गोमेद रत्न डालने पर दूध का रंग गोमूत्र की तरह दिखने लगता है ।
--------धारण --बुधवार रात्रि 12 बजे के उपरान्त शुक्ल पक्ष एवं सही लग्न में धारण करना चाहिए ।
------ज्योतिष सेवा निःशुल्क एकबार प्राप्त करें -------अगर विदेशों में रहते हैं तो निःशुल्क ज्योतिष जानकारी एकबार शाम 7 से 9 के बीच स्काइप पर प्राप्त कर सकते हैं किन्तु पहले दोस्ती फेसबुक पर करनी होगी ।
        आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत --सहायता सूत्र -09897701636 +09358885616 स्काइप = jyotish.seva.sadan-------फेसबुक ---www.facebook.com/pamditjha

"नीलम रत्न क्यों ,कब और कैसे धारण करें ?

  • "नीलम रत्न क्यों ,कब और कैसे धारण करें ?-------नीलम रत्न को अंग्रेजी में ब्लू सेफाइर कहते हैं । मोर की गर्दन -जैसा हलके रंग का यह नीलम  रत्न होता है । यह शनि ग्रह का रत्न है । नीलम रत्न को नीलमणी भी कहते हैं । नीलम रत्न धारण करने के कुछ ही घंटों बाद यह अपना प्रभाव दिखाने लगता है। यदि नीलम रत्न को पहनने के बाद रात में भयावह सपने आयें तो तुरंत इस रत्न को उतार देना चाहिए । अथवा कोई अनिष्ट हो तो भी उतार देना चाहिए । शास्त्रों का मत है इस रत्न के साथ सर्वाधिक दैवीय शक्तियां जुडी मानी जाती हैं । प्रमाण है -यह नीलम रत्न राजा से रंक या रंक से राजा बनाने की  भी
    क्षमता रखता है । यदि किसी के लिए शुभ हो कुंडली के अनुसार तो रातों -रात भाग्य बदल देता है अन्यथा तबाही भी ला देता है ।
    --------नीलम की पहचान आप खुद करें ----{1 }-पानी से भरे कांच के गिलास में नीलम डालने पर पानी में नीली किरणें निकलती हुई दिखाई देती है । {2 }-दूध के गिलास में नीलम डालने पर दूध से नीली झाई दिखती है --अगर आपकी कसोटी पर यह बात खड़ी न उतरे तो नीलम नहीं नीली होगी ।
    -------नीलम -मकर एवं कुम्भ राशि के उपर अपना  प्रभाव रखता है किन्तु --कुण्डली का सही निरिक्षण कर धारण करें ---धारण का समय शुक्ल पक्ष दिन शनिवार शुभ मुहूर्त में ।
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"हीरा रत्न क्यों कब और कैसे पहनें "?"

  • "हीरा रत्न क्यों कब और कैसे पहनें ?"
    -----हीरा रत्न को अंग्रेजी भाषा में डायमंड स्टोन कहते हैं । वृष एवं तुला राशि के साथ -साथ कुंडली में शुक्र की स्थिति को देखकर धारण करना चाहिए हीरा का स्वामी शुक्र है ।
         -----हीरा का रंग स्वेत ,कठोर जिसे हम नहीं खुरच सकते हैं न ही घिस सकते हैं एवं जिससे लाल -नीली किरणें निकलती हैं ,साथ ही हीरा में काले रंग के बिंदु न हों तो वह हीरा उत्तम दर्जे का होता है ।
       -----हीरा रत्न को सभी रत्नों का सरताज माना जाता है । शुक्र समृद्धि और वैभव का प्रतीक कुंडली में माना जाता है । इसलिए हीरा रत्न धारण करने से जातक पर बल ,कामेच्छा और व्यापारियों के कारोबार की वृद्धि होती है । घर में पति -पत्नी की कलह दूर करने के लिए हीरा रत्न धारण करना उचित रहता है ।
    -------  हीरा रत्न की पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं --------- {1 }गरम दूध में हीरा डालने पर दूध जल्दी ठंढा हो जाता है । --{2 }-पिघले हुए घी में हीरा डालने पर घी शीघ्र जमने लगता है ---{3 }-धूप में रखे हीरे से सतरंगी किरणें निकलती दिखाई देती है ।
       नोट आपकी कसौटी पर हीरा सटीक उतरे तो हीरा होगा अन्यथा जरकिन उपरत्न हो जायेगा ----इसे शुक्रवार को उचित लग्न एवं शुक्ल पक्ष में धारण करना चाहिए ।
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"पुखराज रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"

"पुखराज रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"  हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं"रत्न " इसलिए हमलोग करते भी हैं यत्न | परन्तु रत्न से ही समाधान होगा ऐसा नहीं है ,उत्तम समाधान तो कर्म ही होता है किन्तु जब हम भौतिक जीवन की कामना करते हैं तो हमें भौतिक वस्तु की लालसा ही हमें "रत्न " की प्रेरणा देती है और हम चाहकर भी रत्न से दूर नहीं हो पाते हैं ||
   अस्तु -यदि परमात्मा की कृपा है ,धन की प्रचूरता है ,तो फिर अपनी शोभा और ग्रहों के निदान के लिए "रत्न अवश्य ही पहनें ,परन्तु जो पहनें वो सही हो -आइये जानते हैं --
     पुखराज {टोपाज } ब्रेहस्पति "रत्न"  को --यह पीले रंग का होता है |महिलाओं का यह प्रिय "रत्न "है |उन्हें इसके धारण करने से पति सुख प्राप्त होता है |व्यक्ति को धन संपत्ति ,पुत्र सुख ,स्त्री सुख मिलता है | इसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है | ब्रेहस्पति की महादशा किसी अन्य ग्रह की दशा में ब्रेहस्पति की अन्तर्दशा में यह  अधिक फल देता है | अगर गुरु {ब्रेहस्पति } बारहवें स्थान पर हैं तो इसे धारण नहीं करना चाहिए ||
     पुखराज की जांच---
[1]-सफेद कपडे पर पुखराज रखकर धुप में देखने पर कपडे पर पीली झाई -सी दिखती है ||
[2]-पुखराज को चौबीस घंटे दूध में रखने पर असली पुखराज की चमक कम नहीं होती है ||

प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन मेरठ -भारत ----निःशुल्क परामर्श शाम 7 से 9 में मित्रता से एकबार अवश्य प्राप्त करें----सम्पर्कसूत्र द्वारा -09897701636 +09358885616 =--www.facebook.com/pamditjha

बुधवार, 4 दिसंबर 2013

"पन्ना रत्न "क्य़ों ,कब और कैसे पहनें ?"

यूँ तो रत्न ज्योतिष के अलंकार हैं ,ये सभी जानते हैं किन्तु ये रत्न दिव्य आभूषण की तरह सब के काम आते हैं ,ये अपनी शक्ति कभी भी नहीं खोते हैं ,इसलिए कभी राजा महराजा उपहार में अपने सेवक को देते थे ,और सेवक इन उपहारों को कई पीढ़ियों तक आदान प्रदान करते थे | समय बदला सब कुछ बदल गया किन्तु आज भी रत्नों की गरिमा छोटे से बड़े लोगों तक यथावत है ||
        अस्तु -यदि आपकी मिथुन राशि या कन्या राशि है तो आप भी पन्ना अंग्रेजी में {एमरेल्ड }को धारण कर सकते हैं किन्तु रत्न को लेने से पूर्व आप अपनी कसोटी पर परख भी सकते हैं |
          "पन्ना =हरे रंग का होता है |हर प्रकार के व्यापारियों ,लेखकों ,अध्यापकों ,कवियों ,कलाकारों के लिए ये लाभदायक माना गया है |वाक्शक्ति बढ़ाने में भी ये उपयोगी होता है |पन्ना वैसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है ,लेकिन जिसकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर या दोषयुक्त हो उसके लिए यह बहुत शुभ व् फल दायक होता है | बुध की महा दशा में भी जातक पहनते हैं ||
             "पन्ने की जाँच स प्रकार से करें =
      [१]-पन्ने को पानी के गिलास में डालने पर पानी में से हरी किरणें निकलने लगती हैं ||
       [२]-टॉर्च के प्रकाश में पन्ने को देखने पर असली पन्ना गुलाबी दीखता है ,परन्तु नकली पन्ना हरा ही दीखता है ||  {3 }-धारण -बुधवार शुक्लपक्ष एवं शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए ।
     -भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri
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"मूंगा रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"

"मूंगा रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"

   मंगल रत्न मूंगा {अंग्रेजी में -कोरल कहते हैं }ये सिंदूरी लाल रंग का होता है | मंगल ग्रह को ज्योतिष में सेनापति मन जाता है |यह शक्ति का प्रतीक है |जो लोग कमजोर हों ,सुस्त हों उन्हें यह धारक करना चाहिए |शत्रु पर विजय ,कारोबार में उन्नति ,पदोन्नति आदि के लिए भी लोग मूंगा धारण करते हैं |यदि मंगल कुंडली में नीच का हो तो धारण नहीं करना चाहिए वरना लड़ाई- झगडे तक करवा देता है "मूंगा "|| 
         मूंगा की पहचान आप स्वयं भी शास्त्र सम्मत कर पहन सकते हैं ?-
[१]-मूंगा को दूध में डालने पर दूध में से लाल रंग की झी दिखती है |
[२]-तेज धुप में मुंगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है ||
    {3}-धारण -मंगलवार ,शुक्लपक्ष शुभ मुहूर्त एवं अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए ।      भाव -संसार में सभी अलंकार ये युक्त होते हैं ,ये अलंकार को हटा दिया जाय तो जीवन की कल्पना या सुन्दरता में कुछ कमी रह जाएगी | ग्रंथों में भी अलंकार रस का प्रयोग होता है इसके बिना ये काव्य भी नीरस सा प्रतीत होते हैं |किन्तु ज्योतिष के अलंकार रूपी रत्न -शोभा के साथ -साथ विपरीत  परिस्थिति में सहायक भी होते हैं  ये शोभा तो बढ़ाते ही हैं दयनीय अवस्था के सहायक भी होते हैं -किन्तु यदि सही परखकर न लिया जाय तो रत्न की जगह उपरत्न हो जाते हैं -जो हमारी किसी भी प्रकार की रक्षा नहीं करते हैं ||
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"मोती रत्न"क्यों कब और कैसे पहनें ?"

    "मोती रत्न"क्यों कब और कैसे पहनें ?"
  चंद्रमा का रत्न "मोती " है आंग्ल भाषा [अंग्रेजी में -पर्ल -कहते  हैं |
          ऐसा ज्योतिष  में विदित है कि-प्रत्येक जीव मन के वशीभूत होते हैं ,जब मन स्थीर हो जाता है -तो शांति मिल जाती है एवं शांति के बिना -जीवन नीरस सा प्रतीत होता है ||
       अस्तु  "मोती " यह एक शुभ रत्न है |क्रोध कम करने ,बल्ड प्रेशर ,ह्रदय रोग ,चिंता ,तनाव ,पारिवारिक झगडे कम करने या शांति के लिए इसे धारण किया जाता है ||
             "मोती "धारण करने से पूर्व "मोती "रत्न को आप स्वयं परख सकते हैं अपनी कसोटी पर ?
  [१]-किसी मिटटी के वर्तन में गोमूत्र लेकर उसमें मोती को रत भर पड़ा रहने दें |सुबह तक नकली मोती टूट जायेगा ||
[२]-जमे घी में "मोती "डालने पर यदि वह पिघलने लगे तो वह मोती असली होगा || 
   [३]-पानी से भरे कांच के गिलास में मोती डालने पर उसमें से किरणें निकलती दिखे तो वह असली "मोती "होगा ||    ------धारण सोमवार शाम के समय शुक्ल पक्ष में उचित रहता है ।
        भाव -हम दिखावा के लिए रत्न न पहनें, सही परखें और सही  समय से "मोती "कर्क " राशी या वृष राशी में यदि चंदामा हो तो धारण करना चाहिए ||
   --भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"
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मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

माणिक रत्न क्यों ,कब और कैसे धारण करें ?"

  रत्नों को ज्योतिष शास्त्रों में अलंकार [शोभा ] कहा गया है |जीने की सबकी तमन्ना होती है ,उसमें भी धन रूपी शोभा के बिना  जिस प्रकार से जीवन निरस हो जाता है -ठीक "ज्योतिष में भी रत्नों के बिना-ज्योतिष विद्या -निष्फल सी  लगने लगती  है ||
  •        अस्तु -रत्न  हमारे  शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं किन्तु बिपरीत  परिस्थिति में हमारी रक्षा भी करते हैं -चाहे वो धन की हो ,मर्यादा की हो ,या ग्रहों के दोष की हो ,ये सभी प्रकार से हमारी रक्षा करते हैं | किन्तु रत्न -यदि रत्न न हो -तो रक्षा भी न के बराबर ही हमारी करते हैं |नवग्रहों के हिसाब से -नवरत्न हैं और नव उपरत्न भी हैं | आज अनंत रत्न हैं ,अनंत मत हैं ,इसलिए हम सत्य की पहचान करने  में  असत्य की ओर भागने लगते हैं | "ज्योतिष "के अनुसार रत्न ही पहनें और केवल वो रत्न पहनें जो -हमारी सभी प्रकार से रक्षा करे एवं जब विशेष दिक्कत हो धन की- तो ये धन रूप में बिक भी जाय -इस प्रकार के रत्न पहनने चाहिए ,और इसकी जब तक सही परख न हो तो हम रत्न धारण न करें ?
          ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार -सूर्य -आत्मा पर ,चंद्रमा -मन पर ,मंगल धैर्य पर ,बुध -वाणी पर ,गुरु [बृहस्पति ]-ज्ञान पर ,शुक्र -वीर्य पर और शनि संवेदना पर प्रभाव डालते हैं |जन्म कुंडली में जो ग्रह नीच राशि में या कमजोर होते हैं उनका दुष्प्रभाव पड़ता है और जो ग्रह उच्च राशि में या बलवान होते हैं उनका शुभ फल भी मिलता है |ऐसी दशा में ग्रहों की दुर्बलता दूर करने के लिए उनसे सम्बंधित रत्न भी पहने जाते हैं । 
       [1 ]-सूर्यरत्न=माणिक्य या रूबी -गुलाबी लाल रंग का होता है |इसे धारण करने से भाग्योदय होता है ,शत्रुओं का नाश होता है ,पदोन्नति होती है ,समाज में प्रतिष्ठा बढती है | जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में -सूर्य -शुभ भाव में स्थित हो उसे ही -माणिक्य धारण करना चाहिए। 
      नोट -माणिक्य की पहचान इस प्रकार से करें -
               [1 ]-गाय के दूध में माणिक्य डालने पर -दूध  गुलाबी- सा दिखने लगता है ||
               [2 ]-कांच के गिलास  में माणिक्य रखने पर कांच में हलकी लाल किरणें निकलती दिखाई देती है |
               [3 ]-कमल की कलि पर माणिक्य रखने से वह खिल जाता है ||
      भाव -यदि आपकी कसोटी पर "माणिक्य "सटीक बैठे तो जरुर लें -ये शास्त्रों की प्रमाणिकता है ||
          हम क्रम से सभी रत्नों की विवेचना करेंगें |
      --भवदीय निवेदक "झा शास्त्री"
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ज्योतिष की नजर में "उत्तर प्रदेश "?"

ज्योतिष की नजर में "उत्तर प्रदेश "?"
----उत्तरप्रदेश  -की वृष राशि है तथा स्वामी शुक्र वर्ष प्रवेश कुंडली के आठवें अर्थात त्रिक स्थान में पंचगृही योग में विकल {पीड़ित }है । कुंडली के भाग्य स्थान में केतु शनि से दृष्ट है -------
     ---अर्थात येन -केन प्रकार से समाजवादी पार्टी के नवोदित नेता मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी की सरकार तो चलती रहेगी --किन्तु डगर जोखिम भरी होगी । राज्य में प्रगति विशेष होगी परन्तु राज्य में सभी जगह अशांति भी रहेगी । जैसे -हिंसा ,चोरी ,डकैती ,लूटपाट धोखाधड़ी के साथ -साथ आतंकियों का भी बोलबाला रहेगा ।
   -----विरोधी राजनेता राज्य में अव्यवस्था बनाने में लगे रहेंगें । संवत -2070---में चुनावी सरगर्मी तो चलेगी ही पृथक राज्य बनाने की आवाज बुलंद भी होगी । राज्य के कर्ता -धर्ता नेताओं को आस्तीन के छिपे विषधरों से भी सचेत रहना होगा- अन्यथा भीतरघात ले डूबेगा ।
   -----प्रदेश में ---कहीं अत्यधिक वर्षा तो कहीं बाढ़ तो कहीं भूकंप के साथ -साथ सूखा पड़ने से राज्य को भारी क्षति भी होगी । ----आगे हरि कृपा !
     ------प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -भारत }हमारा पत्ता -ज्योतिष सेवा सदन -प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ उत्तर प्रदेश पिन -250002 भारत-संपर्क सूत्र कार्यालय -09897701636 +09358885616

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"ज्योतिष की नजर में "उत्तराखण्ड राज्य "-13 +14

"ज्योतिष की नजर में "उत्तराखण्ड राज्य "-13 +14
----उत्तराखंड  राज्य -की राशि -वृष है । वर्ष प्रवेश कुंडली के केंद्र दशम भाव में बैठा "गुरु "है ,जो कि सत्तासीन पार्टी को बल प्रदान तो करेगा --किन्तु ज्योतिष की उक्ति है जहाँ देवगुरु बैठते हैं उस स्थान की हानि होती है अतः सत्तासीन पार्टी को सचेत भी रहना होगा ।
    --------हमने संवत -2070 में होने वाली घटनाओं पर लेख लिखे थे ये आज भी उपलब्ध है पेज -ज्योतिष सेवा सदन {पंडित कन्हैया लाल झा शास्त्री }-मेरठ---में ------!
    अस्तु -------इस वर्ष उत्तराखंड में प्रतिमास कहीं न कहीं वर्षा होती रहेगी । कहीं बर्फबारी होने ,तूफान आने झंझाबात ,दुर्दिन ,भूकंप भूस्खलन के कारण भरी क्षति होगी । नदियों के जलप्रवाह गतिरोधक बांध के कारण क्षति तो हुई ही किन्तु पुनः ---भुमिखनन आदि को लेकर जनान्दोलन होते रहेंगें । आन्दोलन से जुड़े दो भक्त गंगा मैया के काल के गाल में समा सकते हैं {निर्दोष भक्त समा चुके हैं }
  -----चीन सैन्यबल प्रयोग कर सकता है । राज्य सरकार ,देश के प्रहरियों को सचेत रहना चाहिये । उत्तराखंड  राज्य में सत्ता हस्तान्तरण की आवाज बुलंद होगी । सत्तारूढ़ दल में फेरबदल के योग बनेंगें ।
        {ज्योतिष सेवा सदन --उन सभी शिव भक्तों जो काल के गाल में समा चुके हैं की आत्माओं को शांति मिले तथा उन सबके परिवारों को इस कठिन परिस्थियीं से नया जीवन जीने की क्षमता भोले नाथ पुनः प्रदान करें ---यही प्रार्थना हमारी भोले नाथ जी से है }
    प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -भारत } -प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -भारत }हमारा पत्ता -ज्योतिष सेवा सदन -प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
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अकाली और भाजपा को और कोशिश करनी होगी -13 +14 पंजाब प्रान्त में ?"

 अकाली और भाजपा को और कोशिश करनी होगी -13 +14 पंजाब प्रान्त में ?"
-----पंजाब राज्य की प्रभाव राशि मीन है ,तथा नाम राशि कन्या है ।  गोचर ग्रहों के अनुसार संवत -2070-के शुरू से शनि +राहु तुला राशि में एक साथ हैं --तथा -संवत के शुरू से अंत तक -तक शनि का मंगल के साथ दशम +चतुर्थ सम्बन्ध होने के कारण यहाँ के शासकों के समक्ष भारी चुनोतियों को उपस्थित करेगा । 
         --आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत -झा शास्त्री ज्योतिष जानकारी केवल फेसबुक पर मित्रता से ही रात्रि 7 से 9 में एकबार फ़ोन से प्राप्त कर सकते हैं --साथ ही विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषी स्काइप पर एकबार निःशुल्क मित्रता से प्राप्त कर सकते हैं समय -शाम 7 से 9 के बीच किन्तु दोस्ती पहले फेसबुक पर करनी होगी --अधिक जानकारी हेतु इस लिंक पर पढ़ें - --www.facebook.com/pamditjha - {२}- www.facebook.com/astrojhameerut. -सहायता सूत्र -09897701636 +093588885616
---अकाली +भाजपा सरकार की कारगुजारी निराशा जनक रहेगी । वित्तीय -संकट सरकार पर भारी पड़ेगा । कृषि सम्बन्धी नई विविधताओं को अपनाने के लिए नई योजना बनेंगी । किसानों को एग्रो -फोरेष्ट्री की तरफ ध्यान देने पर भी सरकार ध्यान दिलाएगी ताकि जल की कमी एवं बिजली संकट का सामना किया जा सके ।     ---पंजाब राज्य में --नए टैक्सों से जनता में आक्रोस बढेगा । औधौगिक क्षेत्रों की स्थिति भी भारी संकट में आ सकती है । कुछ जिलों में उग्रवादी अपनी उपस्थिति जाहिर भी कर सकते हैं .जो कि जनता में क्षोभ उत्पन्न कर सकता है । 26-नवम्बर -13-से आगे फरवरी -2014 से संवत के अंत तक का समय पंजाब राज्य की स्थिति तथा राजनीतिज्ञों के लिए संकट युक्त होगा ।

सोमवार, 2 दिसंबर 2013

"हिमाचल प्रदेश में विकास होगा ज्योतिष की नजर में ?"

  • "हिमाचल प्रदेश में विकास होगा ज्योतिष की  नजर में ?"

    ----हिमाचल प्रदेश ---इस राज्य की नाम राशि कर्क है तथा प्रभावी राशि मीन है । 31-मई 2013को गुरु मिथुन राशि में आकर शनि +राहु को प्रभावित किया है तथा आगे 18-अगस्त से 4 अक्तूबर तक शनि +मंगल की परस्पर विशेष दृष्टि यहाँ पर पड़ेगी जिससे राजनीति में विस्फोटक स्थिति बनेगी ।
    ----हिमाचल प्रदेश राजनीति का कुरुक्षेत्र बनेगा । कांग्रेस +भाजपा द्वारा महाभारत प्रारम्भ होगा । गोचर ग्रहस्थिति के अनुसार भाजपा का अंतर्कलह पार्टी के खेल को बिगाड़ सकता है ।
            --लेकिन 8 -जुलाई 2013से 4 अप्रैल 14 -तक इस प्रान्त की राजनीति विस्फोटक स्थिति में आ जाएगी । अतः भाजपा +कांग्रेस को स्थिति के अनुसार तारतम्य से आगे बढ़ना होगा ।
           ---स्वास्थ -सेवा .बिजली सस्ती ,बागवानी की समृधिपद योजनाओं से इस प्रान्त की स्थिति बेहतर नहीं लगेगी जिसका लाभ विपक्ष को मिल सकता है ।
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जम्मू -काश्मीर को दुःख और सहने होंगें -ज्योतिष की नजर में ?"

जम्मू -काश्मीर को दुःख और सहने होंगें -ज्योतिष की नजर में ?"

-----इस भारतीय भूभाग प्रान्त की नाम राशि मकर किन्तु प्रभाव राशि तुला है । इस संवत में राहु +शनि दोनों शुरू से अंत तक तुला राशि में ही भ्रमण करेंगें ।
   ------गोचर ग्रह की स्थिति के अनुसार 7 जुलाई 13 तक एवं 18 अगस्त से 4 अक्तूबर 13 तक प्राकृतिक और उग्रवाद की विशेष पीड़ा साहनी पड़ी| इस भारतीय भूभाग को ,किन्तु अभी सम्पूर्ण संवत तक इस राज्य की सीमा पर आपसी झड़पों से अशांत रहेगी इस भारतीय भूभाग पर । टूरिज्म को बढ़ावा देने बावजूद इस प्रान्त की आर्थिक -राजनैतिक -सामाजिक स्थिति उत्तम नहीं रहेगी ।
  ----आगे फरवरी 14 से संवत पर्यन्त तक भी यह प्रान्त उग्रवाद और प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त रहेगा इस प्रकार का ज्योतिष का अनुमान है --आगे जैसी हरि कि कृपा सर्वज्ञ तो वही हैं ।

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"हरियाणा राज्य की गद्दी नहीं हिलेगी -ज्योतिष की नजर में ?

"हरियाणा राज्य की गद्दी नहीं हिलेगी -ज्योतिष की नजर में ?"
------हरियाणा राज्य की राशि मिथुन किन्तु प्रभावी राशि मीन है । राशि के स्वामी बुध कुण्डली {वर्षारम्भ} में पंचग्रही योग के कारण अस्त है । वर्त्तमान राज्य सरकार को उठा -पटक के झटके खूब सहने पड़ेंगें किन्तु सत्ता बरकरार रहेगी । विरोधियों का सामना अद्भुत साहस से करेगी । कोई राजनीति का विशेष सेवक काल के गर्त में समां सकता है । इस वर्ष इंद्रदेव की कृपा पूर्ण रूप से रहेगी जिस कारण से हरी सब्जियाँ ,फल -फूल ,धान ,आलु ,प्याज ,गाजर -मूली ,मूंगफली ,गेंहू ,चना ,कि फसल अच्छी होगी । संवत =2070 अर्थात 13 +14 में बिजली ,पानी और अन्नादि का वितरण को लेकर हो हल्ला खूब मचेगा । जाट समुदाय ना खुश हो सकता है । हरियाणा राज्य -केंद्र को पानी +बिजली देने में उत्साह नहीं दिखायेगा ।
 ---इस उक्ति से देखें तो =="आगे पीछे बहुत ग्रह ,बुध ग्रह पाप मझार ।
                                         राजनीति सह दविंद से होवे बहुत विगार । ।
  अर्थात ---घिनौनी राजनीति के चलते सरकारी तौर पर फेरबदल सम्भव है । उधोगों का संकुचित होना बहस का मुद्दा बनेगा । केंद्र सरकार सहयोग से पल्ला झाड़ सकती है । मीन राशि में पंचग्रहि योग असंभावी कुघाटना का ईशारा कर रहा है । -------
      आपका -ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत ---निःशुक ज्योतिष सेवा रात्रि 7 से 9 में एकबार अवश्य मित्रता से कोई भी प्राप्त करें ---09897701636 +09358885616 भवदीय--दोस्त हैं -
तो प्रोफाइल में अपनी फोटो जरुर लगायें अन्यथा दोस्त न बनें -- फ्री ज्योतिष सेवा प्राप्त करने लिए इस लिंक पर जायें =और दोस्ती करें =--https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashastri- {2 } पेज -को पसंद करने के लिए इस लिंक पर जायें www.facebook.com/pamditjha {3} -हमारे समूह से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जायें =-https://www.facebook.com/groups/jyotishsevasadan/ {४}हमारे ब्लॉक में ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लेखों को पढने के लिए इस लिंक पर जायें ==http://astrohelpworld.blogspot.in/ ==
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रविवार, 1 दिसंबर 2013

शेयर बाजार ज्योतिष की नजर में-दिसम्बर -{2013}?"

शेयर बाजार ज्योतिष की नजर में-दिसम्बर -{2013}?"
----मास की शुरुआत में तेजी दिखाई देगी और इसका कारण होगा वृश्चिक राशि का बुध । जैसे -हीरो ,टोयोटा ,टाटा ,हाण्डा ,बजाज ,सुजुकी ,एल एम एल,कावासाकी ,महिन्द्रा एन्ड महिंद्रा ,हुंडई आदि के शेयरों में तेजी रहेगी प्रथम सप्ताह में । किन्तु ध्यान दें -ये तेजी अल्प समय के लिए ही रहेगी निवेशक शीघ्र लाभ उठा लें अन्यथा हानि होगी । माह की -8 से 14 तक तेजी रहेगी । सूर्यदेव की संक्रांति -15 -{तारीख }धनु राशि में होगी -इस कारण रिलायंस ,आई सी आई सी आई ,विप्रो ,कोल्ड्रिंक कम्पनियां ,धारा ,नेरोलैक ,काफी ,चाय बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स ,मशीनरी कम्प्यूटर्स आदि बनाने वाली कम्पनियों के शेयर्स ,इलेक्ट्रानिक कम्पनियों के शेयर्स ,नोकिया ,एल जी ,सैमसंग ,आदि के शेरोन में मंदी दिखाई देगी । माह की 22 तारीख को शुक्र वक्री होगा ---इसलिए तेजी का रुख बनेगा किन्तु बिकवाली का इतना तेज प्रभाव पड़ेगा कि यह तेजी का लाभ सभी नहीं उठा सकेंगें । फिर भी मास के अंत में बाजार में तेजी रहेगी -जैसे -बैंकिंग ,दवा ,इलेक्ट्रानिक ,एजुकेशन ,कंस्ट्रक्शन ,से जुडी कम्पनियों में निवेश से लाभ हो सकता है । म्युचुअल फंड ,बैंक कम्पनियां ,इंजीनियरिंग ,टेक्सटाइल ,सीमेंट ,खाद्यान्न सामग्री बनाने वाली कम्पनियों में तेजी आएगी । महीने के अंत में -रिलायंस ,बीमा कम्पनियां ,इंटरनेट से जुडी कम्पनियां ,डाटा इंफोसिस ,सिफी आदि में तेजी देखने को मिलेगी । किन्तु इस तेजी से लाभ क्षणिक ही होगा ।
   ---दिसम्बर में निवेश हेतु मुख्य शेयर्स -नेरोलैक ,एपटेक ,विप्रो ,कोटक ,महिन्द्रा ,हाण्डा ,यामाहा ,बिरला ,सन लाइफ ,पेप्सिको इत्यादि । -------आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत -झा शास्त्री
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ज्योतिष की नज़र में उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या होगी -13 +14

ज्योतिष की नज़र में उत्तर प्रदेश की विशेषता क्या होगी -13 +14
----उत्तरप्रदेश  -की वृष राशि है तथा स्वामी शुक्र वर्ष प्रवेश कुंडली के आठवें अर्थात त्रिक स्थान में पंचगृही योग में विकल {पीड़ित }है । कुंडली के भाग्य स्थान में केतु शनि से दृष्ट है -------
     ---अर्थात येन -केन प्रकार से समाजवादी पार्टी के नवोदित नेता मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी की
   -----विरोधी राजनेता राज्य में अव्यवस्था बनाने में लगे रहेंगें । संवत -2070---में चुनावी सरगर्मी तो चलेगी ही पृथक राज्य बनाने की आवाज बुलंद भी होगी । राज्य के कर्ता -धर्ता नेताओं को आस्तीन के छिपे विषधरों से भी सचेत रहना होगा- अन्यथा भीतरघात ले डूबेगा ।
   -----प्रदेश में ---कहीं अत्यधिक वर्षा तो कहीं बाढ़ तो कहीं भूकंप के साथ -साथ सूखा पड़ने से राज्य को भारी क्षति भी होगी । ----आगे हरि कृपा !
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-प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -भारत }हमारा पत्ता -ज्योतिष सेवा सदन -प्रबंधक -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री
किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ उत्तर प्रदेश पिन -250002 भारत-संपर्क सूत्र कार्यालय -09897701636 +09358885616

सरकार तो चलती रहेगी --किन्तु डगर जोखिम भरी होगी । राज्य में प्रगति विशेष होगी परन्तु राज्य में सभी जगह अशांति भी रहेगी । जैसे -हिंसा ,चोरी ,डकैती ,लूटपाट धोखाधड़ी के साथ -साथ आतंकियों का भी बोलबाला रहेगा ।